Book Title: Mokshmala
Author(s): Paramshrut Prabhavak Mandal
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 211
________________ विविध प्रश्नो भाग ५. १९३ अने पुष्पनी उपभोग लेछे केवळ शीतळ जळयी तेओनो व्यवहारछे. रात्रिये भोजन लेछे. एमां थतो असंख्याता जंतुनो विनाश, ब्रह्मचर्यनो भंग ए आदिनी मूक्ष्मता तेओना जाणवामां नथी. तेमज मांसादिक अभक्ष्य अने सुखशीलियां साधनोथी वोध्धमुनियो युक्तछे, जैन मुनियो तो एथी केवळ विरक्तछे. शिक्षापाठ १०६. विविध प्रश्नो भाग ५. म०-वेद अने जैन दर्शनने प्रतिपक्षता खरी के ? उ०-जैनने कइ असंमजस भावे प्रतिपक्षता नथी; परंतु सत्यथी असत्य प्रतिपक्षी गणायचे, तेम जैनदर्शनथी वेदनो संबंध छे. म०-ए वेमा सत्यरुप तमे कोने कहोछो? उ.-पवित्र जैनदर्शनने. म.-वेददर्शनियो वेदने कहेछे तेनु केम? उ०-एतो मतभेद अने जैनना तिरस्कार माटेछे ; परंतु न्यायपूर्वक वनेनां मूळतत्त्वो आप जोइ जनो. Ho-आलं तो मने लागेछे के महावीरादिक जिनेवरनु कथन न्यायना कांटापरछे; परंतु जगत्कर्त्तानी तेभो ना कहेछे, अने जगत् अनादि अनंतछे एम कहेछे ते विषे

Loading...

Page Navigation
1 ... 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220