Book Title: Mokshmala
Author(s): Paramshrut Prabhavak Mandal
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 209
________________ विविध प्रश्नो भाग ३. १९१ प्र०-ते कोणे उत्पन्न कर्यु हतुं ? उ०-ते पहेलानां तीर्थंकरोए. प्र०-तेओना अने महावीरना उपदेशमा कइ भिन्नता खरी के? उ०-तत्वस्वरुपे एकन छ. भिन्न भिन्न पात्रने लइने उपदेश होवाथी अने कंइक काळभेद होवाथी सामान्य मनुष्यने भिन्नता लागे खरी; परंतु न्यायथी जोतां ए भिन्नता नथी. प्र०-एओनो मुख्य उपदेश शुं छे ? उ०-आत्माने तारो आत्मानी अनंतशक्तियोनो प्रकाश करो; एने कर्मरुप अनंत दुःखथी मुक्त करो ए. म०-ए माटे तेओए कयां साधनो दर्शाव्यां छे ? उ०~-व्यवहारनयथी सदेव, सद्धर्म, अने सद्गुरुनु स्वरुप जाणवू सद्देवना गुणग्राम करवा त्रिविध धर्म आचरचो अने निग्रंथ गुरुथी धर्मनी गम्यता पामवी ते. म०-त्रिविध धर्म कयो? उ०-सम्यग्ज्ञानरुप, सम्यग्दर्शनरुप अने सम्यक्चारित्ररुप.

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