Book Title: Markandeya Puran Ek Adhyayan Author(s): Badrinath Shukla Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan View full book textPage 7
________________ इन दश विषयों का पाँच विषयों में समावेश करके कहीं-कहीं पुराणों के पाँच ही विषय बताये गये हैं सर्गश्च प्रतिसर्गश्च वंशो मन्वन्तराणि च / वंशानुचरितं विप्र ! पुराणं पञ्चलक्षणम् // (70 वै० अ० 131) कुछ लोगों के मतानुसार सर्ग, विसर्ग, वृत्ति आदि दश विषय महापुराणों के प्रतिपाय हैं और सर्ग, प्रतिसर्ग आदि पाँच विषय लघु वा उपपुराणों के 'प्रतिपाय हैं। इस बात का संकेत ब्रह्मवैवर्त के १३१वें अध्याय में किया गया है। महापुराण महापुराणों की संख्या अठारह है, ब्रह्म, पद्म, शिव, विष्णु, भागवत, नारद, मार्कण्डेय, अग्नि, भविष्य, ब्रह्मवैवर्त, लिङ्ग, वराह, स्कन्द, वामन, कूर्म, मत्स्य, गरुड और ब्रह्माण्ड / वामनपुराण के एक श्लोक में इनका संकेत आय अक्षर द्वारा किया गया है / मद्वयं भद्वयं चैव अत्रयं वचतुष्टयम् / ___ अनापलिङ्गकूस्कानि पुराणानि पृथक पृथक // मद्वयं-मत्स्य और मार्कण्डेय / भद्वयं-भविष्य और भागवत / त्रयंब्रह्म, ब्रह्माण्ड और ब्रह्मवैवर्त / वचतुष्टयम्-वराह, वायु, वामन और विष्णु / अ-अग्नि, ना-नारद, प-पद्म, लिङ्-लिङ्ग, ग-गरुड, कू-कूर्म, स्क-स्कन्द / लघुपुराण लघुपुराण के तीन भेद हैं-उपपुराण, अतिपुराण, और पुराण / उपपुराण अठारह हैं-भागवत, माहेश्वर, ब्रह्माण्ड, आदित्य, पराशर, सौर, नन्दिकेश्वर, साम्ब, कालिका, वारुण, औशनस, मानव, कापिल, दुर्वासस, शिवधर्म, बृहन्नारदीय, नारसिंह और सनत्कुमार / अतिपुराण भी अठारह हैं-कार्तव, ऋजु, आदि, मुद्गल, पशुपति, गणेश, सौर, परानन्द, बृहद्धर्म, महाभागवत, देवी, कल्कि, भार्गव, वसिष्ठ, कौर्म, गर्ग, चण्डी और लक्ष्मी। ___ पुराण भी अठारह हैं-बृहद्विष्णु, शिव उत्तर खण्ड, लघुबृहबारदीय, मार्कण्डेय, वह्नि, भविष्योत्तर, वराह, स्कन्द, वामन, बृहद्वामन, बृहन्मत्स्य, स्वल्पमत्स्य, लघुवैवर्त और पञ्चविध भविष्य / * पुराणों का गुणकृत भेद समस्त पुराण तीन वर्गों में विभक्त हैं-सात्त्विक, राजस और तामस / - साविक पुराणों में विष्णु का, राजस पुराणों में ब्रह्मा का और तामस पुराणोंPage Navigation
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