Book Title: Markandeya Puran Ek Adhyayan
Author(s): Badrinath Shukla
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 163
________________ (142 ) रक्षा का वचन दिया था / श्राज वे मरुत्त के अस्त्रतेज से दग्ध हो रहे हैं और मेरी शरण में श्रा अपनी रक्षा की प्रार्थना कर रहे हैं / मैं उन सबों के साथ आप की शरण में उपस्थित हूँ, अब मेरी लाज आप का हाथ में है। यह कर देगा" | अवीक्षित ने कहा--"देवि / निश्चय ही किसी महान् अपराध पर ही तुम्हारा पुत्र कुपित हुआ होगा, अतः उसे शान्त करना कठिन है। फिर भी तुम्हारी बात मान कर मैं शरणागत सॉं की रक्षा करूँगा और समझाने बुझाने से यदि मरुत्त शान्त न होगा तो शस्त्र से उसे शान्त करूँगा” | यह कह कर अवीक्षित अपनी पत्नी को साथ ले और्व मुनि के आश्रम पर पहुँचा और अपने पुत्र को क्रोध से रक्त तथा भयानक अस्त्रतेज से सर्पो को दग्ध करते देख बोले-"पुत्र क्रोध न करो, अपने अस्त्र को लौटा लो"। मरुत्त ने माता-पिता को प्रणाम कर उत्तर दिया-"पिता जी ! सों ने मेरे शासन और शौर्य का अपमान कर भारी अपराध किया है, ऋषियों के आश्रम में घुस कर सात मुनिपुत्रों को डंस लिया है, दुष्टों ने यहाँ के जलाशयों और हविष्य को दूषित कर दिया है, अतः इन दुष्टों के वध से आप मुझे विरत न करें" / अवीक्षित ने कहा--"राजन् ! ये सर्प मेरे शरणागत हैं, अतः मेरे गौरव को ध्यान में रख कर तुम अपने अस्त्र को लौटा लो"। मरुत्त ने कहा-"पिता जी ! ये दुष्ट और अपराधी हैं, मैं इन्हें क्षमा नहीं कर सकता, जो राजा दुष्टों को दण्ड देता और सजनों का पालन करता है वह पुण्य लोकों को प्राप्त करता है और जो अपने इस कर्तव्य की उपेक्षा करता है वह नरकगामी होता है" / अवीक्षित ने कहा-“ये सर्प त्रस्त होकर मेरी शरण में आये हैं, शरणागत कोई भी हो, उसकी रक्षा करना महान् धर्म है। मैं इनकी हिंसा बन्द करने को तुमसे बार बार कह रहा हूँ, पर तुम नहीं सुन रहे हो, अत: मुझे तुम्हारे विरुद्ध अस्त्र उठाना होगा। यह कह कर अवीक्षित ने मरुत्त पर कालास्त्र नामक महाभयंकर अस्त्र का सन्धान किया / मरुत्त ने “दुष्टों का दमन कर प्रजा का पालन करना" इस राजकर्तव्य को प्रधान मान पिता की उपेक्षा कर दी और अवीक्षित ने शरणागत पालन जैसे महान् कर्त्तव्य को प्रधानता दे पुत्र की उपेक्षा कर दी और इस प्रकार अपने अपने कर्त्तव्य का पालन करने के लिये दोनों एक दूसरे का वध करने को उद्यत हो गये / इस बात को देख भार्गव आदि मुनि बीच में आ पड़े और बोले-"नाग लोग कह रहे हैं कि दुष्ट सर्पो ने जिन मुनि पुत्रों को डंस लिया है उन्हें वे जीवित कर देंगे और ऐसी व्यवस्था कर देंगे जिससे

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