Book Title: Markandeya Puran Ek Adhyayan
Author(s): Badrinath Shukla
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 168
________________ ( 147 ) निकली हुई रुधिर धारा से तर्पण और उसके मांस से पिण्डदान कर दम ने अपने दिवंगत पिता से आनण्य प्राप्त किया / एक सौ सैंतीसवां अध्याय प्रारम्भ में मार्कण्डेय पुराण में वर्णित विषयों का उपसंहार करते हुये यह बताया गया है कि इन विषयों के श्रवण और पठन से समस्त पापों की निवृत्ति तथा ब्रह्मलीनता की प्राप्ति होती है। तदनन्तर अठारह पुराणों के नाम बता कर कहा गया है कि इन नामों का त्रिकाल जप करने से अवश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है / तत्पश्चात् मार्कण्डेय पुराण के श्रवण की विधि, दक्षिणा और उससे प्राप्त होने वाले अनेक महाफलों को बता कर यह निर्देश किया गया है कि नास्तिकों, दुराचारियों और कुकर्मियों को इस पुराण का श्रवण कदापि न कराना चाहिये /

Loading...

Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170