Book Title: Markandeya Puran Ek Adhyayan
Author(s): Badrinath Shukla
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 165
________________ (144 ) यज्ञ का प्रारम्भ होते ही भूमण्डल के समस्त ब्राह्मणों ने भी राजा से प्राप्त किये हुये धन से अपने अपने यहाँ यज्ञों का प्रारम्भ किया। राजा के इस यज्ञ के साथ पूरब में अठारह करोड़, पश्चिम में सात करोड़, दक्षिण में चौदह करोड़ और उत्तर में पन्द्रह करोड़ यज्ञ सम्पन्न हुये। इस प्रकार मरूतपुत्र नरिष्यन्त बड़ा धर्मात्मा तथा अपने बल और पौरुष से अत्यन्त विख्यात राजा हुा / / एक सौ तैंतीसवां अध्याय / बभ्र की कन्या इन्द्रसेना नरिष्यन्त की पत्नी थी, उसके गर्भ से राजा को एक पुत्र हुअा / जिसका नाम राजा के त्रिकालज्ञ पुरोहित ने दम रक्खा / यह पत्र माता के गर्भ में नव वर्ष तक रहा, इसमें इन्द्र के समान बल, और मुनियों के समान दया और शील था / आन्तर और बाह्य शत्रुओं का दमन करने की शक्ति रखने के कारण इसका दम नाम अन्वर्थ था / उसने दैत्यराज वृषपर्वा से धनुर्वेद की शिक्षाली तथा दैत्यराज दुन्दुभि से सम्पूर्ण अस्त्र प्राप्त किये / महर्षि शक्ति से समस्त वेद और वेदाङ्गों का अध्ययन किया तथा राजर्षि श्राटिषेण से योगविद्या प्राप्त की। उसके शौर्य, सौन्दर्य और अन्यान्य उत्तम गुणों के कारण दशार्ण के राजा चारुवर्मा की पुत्री राजकुमारी सुमना ने स्वयंवर में उसे अपना पति चुना / मद्र प्रदेश का राजकुमार महानन्द, विदर्भ का राजकुमार वपुष्मान् तथा उदारचेता राजकुमार महाधनु-ये तीनों बड़े पराक्रमी तथा अस्त्रविद्या में निपण थे / ये तीनों राजकुमारी सुमना में आकृष्ट थे। इन्होंने परस्पर में विचार किया--"हम तीनों मिलकर दम से सुमना को बलपूर्वक छीन कर घर ले चलें। वहाँ वह हम तीनों में से जिसको चुनेगी वह उसी की पत्नी होगी। यदि वह स्वयं हम में से किसी को न चुनेगी तो हम में से जो दम का वध करेगा वह उसकी पत्नी होगी। यह निश्चय कर तीनों राजकुमारों ने दम के पास खड़ी हुई कुमारी को पकड़ लिया / यह देख दम के सहयोगी राजात्रों ने बड़ा कोलाहल मचाया। किन्तु इस घटना से दम के मन में तनिक भी चिन्ता न हुयी। उसने राजात्रों से पूछा--"स्वयंवर अधर्म है अथवा धर्म ? यदि अधर्म हो तब तो मुझे कुछ नहीं करना है, भले ही यह दूसरे की पत्नी हो जाय / किन्तु यदि वह धर्म है तब तो यह मेरी हो चुकी और तब मैं अपने प्राणों की बाजी लगा कर भी इसकी रक्षा करूँगा' दशार्णनरेश चारुवर्मा ने दम के उठाये हुये प्रश्न के सम्बन्ध में राजाओं के उत्तर की अभ्यर्थना की / राजाओं ने कहा--"स्वयंवर धर्म है।

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