Book Title: Mahendrakumar Jain Shastri Nyayacharya Smruti Granth
Author(s): Darbarilal Kothiya, Hiralal Shastri
Publisher: Mahendrakumar Jain Nyayacharya Smruti Granth Prakashan Samiti Damoh MP
View full book text
________________
५ / जैनदार्शनिक साहित्य : १९ सिद्धर्षि (वि० १०वीं)
न्यायावतार-टीका
प्रकाशित अभयदेव सूरि ( वि० ११वीं) सन्मतिटीका ( वादमहार्णव) प्रकाशित जिनेश्वरसूरि (वि० ११वीं) प्रमालक्ष्म सटीक
प्रकाशित
पञ्चलिङ्गीप्रकरण शान्तिसूरि
न्यायावतारवातिक सवृत्ति प्रकाशित (पूर्णतल्लगच्छीय ) ( वि० ११वीं) मुनिचन्द्रसूरि ( वि० २वीं) अनेकान्तजयपताका-वृत्तिटिप्पण प्रकाशित वादिदेवसूरि (१२वीं सदी) प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार प्रकाशित
स्याद्वादरत्नाकर हेमचन्द्र
प्रमाणमीमांसा
प्रकाशित (पूर्णतल्लगच्छ ) (वि० १२वीं) अन्ययोगव्यवच्छेदिका
वादानुशासन
( अनुपलब्ध) वेदांकुश
प्रकाशित देवसूरि
जीवानुशासन
प्रकाशित ( वीरचन्द्रशिष्य ) ( वि० ११६२ ) श्रीचन्द्रसूरि ( वि० १२वीं) न्यायप्रवेशहरिभद्रवृत्तिपञ्जिका प्रकाशित देवभद्रसूरि
न्यायावतारटिप्पण ( मलधारि श्रीचन्द्र शिष्य ) (वि० १२वीं) मलयगिरि ( वि० १३ )
धर्मसंग्रहणीटीका
प्रकाशित चन्द्रसेन
उत्पादादिसिद्धि सटीक ( प्रद्युम्नसूरि शिष्य ) (वि० १३वों ) आनन्दसूरि
सिद्धान्तार्णव
अनुपलब्ध अमरसूरि ( सिंहव्याघ्रशिशुक ) रामचन्द्र सूरि व्यतिरेकद्वात्रिंशिका
प्रकाशित ( हेमचन्द्र शिष्य ) ( १३ वीं) मल्लवादि (१३ वीं)
धर्मोत्तरटिप्पणक
पं० दलसुखभाईके पास प्रद्युम्नसूरि ( १३ वीं)
वादस्थल
जैनग्रन्थग्रन्थकारमें सूचित जिनपतिसूरि ( १३ वीं)
प्रबोधवादस्थल रत्नप्रभसूरि (१३ वों)
स्याद्वादरत्नाकरावतारिका प्रकाशित देवभद्र (१३ वीं)
प्रमाणप्रकाश
जैनग्रन्थग्रन्थकारमें सूचित नरचन्द्रसूरि न्यायकन्दलीटीका
जैनग्रन्थग्रन्थकारमें सूचित ( देवप्रभ शिष्य ) ( १३ वीं) अभयतिलक (१४ वीं)
पञ्चप्रस्थन्यायतर्कव्याख्या तर्कन्यायसूत्रटीका न्यायलंकारवृत्ति
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612