Book Title: Jay Mahavira Mahakavya
Author(s): Manekchand Rampuriya
Publisher: Vikas Printer and Publication Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 138
________________ उर्ध्वश्वास जग आया सहसा उस अमर्त्य के मन मे। ज्योति-ज्योति से मिली अकम्पित निर्मल मर्त्य भुवन मे। उर्ध्वाकाश हुए वे भव के देह-गेह से ऊपर। लेकिन भास्वर ज्ञान-ज्योति वह सदा रहेगी भू पर। 136 / जय महावीर

Loading...

Page Navigation
1 ... 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149