Book Title: Jay Mahavira Mahakavya
Author(s): Manekchand Rampuriya
Publisher: Vikas Printer and Publication Bikaner

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Page 143
________________ चले वहाँ पर पथ पर अपने धीर बनाए मन को। गुरु के पावन देह त्याग की खबर मिली तब उनको॥ लगा कि जैसे वज्र गिरा हो फूट-फूट कर रोये। गुरु की स्मृति मे आँसू-जल से मन का कल्मष धोये ॥ करुण विलाप किया फिर क्षण-क्षण प्रभु का नाम सुनाकर। मुझको ऐसे छोड दिया क्यो आज यहाँ पर गुरुवर ॥ सहसा लगा कि मन मे जैसे ज्ञान उभर कुछ आया । तात्विक वोध हृदय मे निर्मल फूल सदृश मुस्काया ॥

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