Book Title: Jay Mahavira Mahakavya
Author(s): Manekchand Rampuriya
Publisher: Vikas Printer and Publication Bikaner

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Page 145
________________ महावीर तीर्थकर जय-जय जय-जय ज्ञान-विधाता। जय हे, कठिन तपस्या भू की जय हे जग के त्राता॥ परम सिद्धि के दायक जय हे परम ज्ञान-वैरागी। जय हे भव की सकल सिद्धियाँ जय हे निश्चल त्यागी॥ जय हे ज्ञान समन्वित जग के ज्योति-शिखर अधिवासी। जय हे आत्मोन्नति के धारक जय अखण्ड विश्वासी॥ जय हे मानव-गुण-गरिमा के दिव्य शिखर अभिमानी। जय हे तप पूत नर पावन परम ज्ञान के ज्ञानी॥

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