Book Title: Jain Bhajan Ratnavali Author(s): Nyamatsinh Jaini Publisher: Nyamatsinh Jaini View full book textPage 5
________________ न्यामतसिंह रचित जैन ग्रन्थ माला-अङ्क२ ___(न्यामत विलास-२) *>>otock*4 41 र जैन भजनरत्नावली (चाल)-अडिल छंद॥ विमल बोष दातार जगत हितकार हो। मंगल रूप अनूप परम सुखकार हो । अश्वसेन कुल चंपाचे हृदय वसो । न्यामत का अज्ञान विघ्न संशय नसो ॥१॥ (राग) कवाली (नाल ) कहरवा (चाल ) कत्ल मत करना मुझे तेगो नबर से देखना ॥ अपनी गफलत से जिया तू आप दुखयारों में हैं। जैसे मकड़ी कैद अपने जाल के तारों में है।॥१॥Page Navigation
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