Book Title: Jain Bhajan Ratnavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ • जय पारश सुन अही नवकारा। अमरपुरी धनपति पद धारार ॥१३॥ जय जय जय जय श्री महावीरा । वर्द्धमान सन्मत भतिवीरा ॥ जपो ही न्यायमत मुखकारा । गर्मित चौवीसों अवतारा ॥१४॥ (चाल) कवालो (ताल कहरवा) है वहारेबागदुनिया चंदरोज । यक ववक उलटा जमाना होगया। कैसा कलयुग का वाना हो गया॥१॥ पहिले होता था जवानीमें व्याह। ढंग यह क्योंकर रवाना हो गया ॥२॥ बचपन में शांदियां मेने लगी। ___ हाय क्या उल्टा जमाना हो गया ॥३॥ रहम बच्चोंपे कोई करता नहीं। जुल्मका दिल में ठिकाना हो गया ॥४॥ लाखों बच्चे रोता दिन मरने लगे। न्यायमत गमका फिसाना हो गया ॥५॥ (चाल) कबाली (ताल कहरवा) अदमसे जानिये इस्ती तलाशे यार मभाए ॥ नोट-यह भजन जनाब नवार लेफटीनेंट गवर्नर

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65