Book Title: Jain Bhajan Ratnavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 12
________________ बहादुर पंजावकी तशरीफ यापरी बमुकाम रिसार बनाया गया था और सन् १९१५ में सुनाया गया था। खुशी का मान क्यों सामान सारा होता जाता है। यह क्यों रशके चमन खाना हमारा होता जाता है ॥१॥ हमारे लाट साहेब आज यहां तशरीफ़ लाये हैं।। गोया इकवाल का रोशन मिनारा होता जाता है ॥२॥ मुवारक आजका दिन है सुती क्यों कर न होवें हम । हमारे पे इनायत का इशारा होता जाता है ॥३॥ फुवे हो राज दृटिश को मिले दुनिया की सब न्यामत । गैब से भव तो नुसरत का इशारा होता जाता है ॥४॥ (चाल) चौपाई १५ मात्रा भादि पुरुष आदीश जिनेश, जग नायक जग बद्रे महेश। आदि सुविषि सबको बतलाय, पूजू ऋषभदेव सर नाय॥१ प्रष्ट करमके जीतनहार, मग उद्धार लिया अववार । मोह जाल जिनदीनों तोड़, पूर्ण अजित नाथकरजोड़॥२॥ बरसे रतन पांच दश मास, गर्भ माहीं कीनों जिनवास। सोलह स्वप्न लखे जिन मात, मैं पूजू शंभू'हर्षात ॥३॥ उठ परभात पती पूछियो, राजा अर्द्ध सिंघासन दियो। स्वपनोंका फल करत उचार, अभिनंदनपूजू अवतार ॥४॥

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