Book Title: Gyansara Author(s): Shubhankarvijay Publisher: Jain SMP Sangh View full book textPage 9
________________ ॥ शुद्धिपत्रकम् ॥ पृष्टसङ्ख्या पक्तिः । म्याघ्र . लौकिक शिष्य मशुद्धम् बघ्र लक्षयित्वा माकक शिष्य भूग्या स्वस्सों ASSAT स्थति विष्टिता मनुमनसो दुर्जयः प्यादि धना स्वासो प्राऽऽस्ममा ध्यसि मनु मनसो दुर्जपः ज्यादिधना ममपद शाऽर्था । ममत्वबुद्धि मम पद शाऽथा ममत्व बुद्धि पुल पश्यता सगे वस्तु याथा पश्यत्यतः सर्गों वस्तुयाथा मुमति मुमति कमा तटस्थया कर्मा तटस्थतबाPage Navigation
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