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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ पिच्छिका से अनेक विशेष कार्य
1. संयमचर्या में पिच्छिका उपकारक है। 2. परम्परागत केवल ज्ञान का बाह्य कारण है।
मयूर को अपने कोमल सुन्दर पंखों के त्याग समय मोह और दुःख नहीं होता।
पिच्छिका के उपयोग से संयम भाव में वृद्धि । 5. यह मिथ्या भाव का नाशक 6. यह अभिमान का नाशक है 7. गृहस्थाश्रम और साधुआश्रम में अंतर दर्शक 8. नीरस होने से जीव जंतु उत्पन्न नहीं होते 9. इसमें कीटाणु निवास नहीं करते। 10. यह अचित्त एवं प्रासुक है। 11. इसमें सुगंध एवं दुर्गन्ध नहीं होती। 12. जल में सड़ती गलती नहीं । 13. कोमल होने से जीव रक्षक है प्राणदान है यह 14. पिच्छिका के देने से और लेने से पुण्याश्रव होता है। 15. पिच्छिका से भावों और क्रिया का शोधन होता है 16. पिच्छिका स्वयं शुद्ध है उसका शोधन नहीं होता है 17. आँखों में बाधक नहीं होती। 18. मयूरचन्द्रिका भस्म से अनेक रोग दूर होते हैं । 19. आशीर्वाद देने में और विनय में सहायक है। 20. रुग्णदशा में तथा परीषह में बल प्रदान करती हैं।
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