Book Title: Dayachandji Sahityacharya Smruti Granth
Author(s): Ganesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar
Publisher: Ganesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar

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Page 714
________________ आगम संबंधी लेख साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ सुरक्षा एवं रक्षा करना भी हमारा दायित्व है । कहीं ऐसा न कि दो बिल्लियों की लड़ाई का लाभ बंदर उठा जावें। अभी तो जैनियों के हाथ से गुजरात का प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र गिरनार जाने वाला है तथा पावागढ़ का पर्वतीय अस्तित्व जैन समाज की अकर्मण्यता से समाप्त प्राय है । कहीं ऐसा न हो कैलाश पर्वत की तरह 20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि के लिए हमें वोट की राजनीति पर जीवित रहने वाले नेताओं के सामने हाथ जोड़ना या गिड़गिड़ाना पड़े और अधिकार रहित हो जाना पड़े। सम्मेदशिखर जैनियों का है ऐसा कहने मात्र से आपका नहीं रहेगा । ऐतिहासिक साक्ष्य देखकर भी आपको नहीं मिलेगा अतः सतर्क सावधान होने की बारी है । अब हमारा नारा - दिगम्बर श्वेताम्बर भाई भाई का हो । क्षेत्र हमारे पूर्वजों की धरोहर है। इसकी रक्षा का हम सभी को संकल्प करना चाहिए । संदर्भ सूची 1. 2. 3. 4. आदिपुराण, पर्व 4 श्लोक 8 बीसंतु जिणबरिदां अमरासुर वंदिदा धुद किलेसा सम्मेदेगिरि सिहरे णिव्वाण गया णमों तेसिं । निर्वाणकाण्ड, गाथा2 निर्वाण भक्ति श्लोक 25 तिलोयपण्णत्ति - अधि. 4 गाथा, 1197 से 1206, 1208 से 1216 तक एवं 1218 उत्तरपुराण - पर्व 48 श्लोक 53, पर्व 49 श्लोक 56, पर्व 50 श्लोक 65 - 66, पर्व 51 श्लोक 85-86 पर्व 52 श्लोक 65-66, पर्व 53 श्लोक 52-53, पर्व 54, श्लोक 269-270, पर्व 55 श्लोक 52 से 59, पर्व 56 श्लोक 56 58, पर्व 57 श्लोक 54 62, पर्व 58 श्लोक 48-54, पर्व 59 श्लोक 44-45, पर्व 61 श्लोक 51-52, पर्व 63 श्लोक 501 पर्व 64 श्लोक 51-52, पर्व 65 श्लोक संध्या 43 से 45, पर्व 66 पर्व 67, श्लोक 53-56, पर्व 69 श्लोक 66-68, पर्व 73 श्लोक 153 से 159 तक । श्लोक 61-62, दशभकत्यादिशास्त्र 10. 11. - 5. 6. 7. 8. उत्तरपुराण, पर्व 68 श्लोक 717 विविधतीर्थ कल्प, पृ. 3 9. A statical account of Bengal, Volme XVI, P30-30 Pilgrimage of parsvanth in 1820, Edited Burgess 11sd, 1902 P 36-45C त्रिषष्टिस्मृति शास्त्र श्लोक 80 पद्मपुराण, पर्व 13 श्लोक 45 Jain Education International - 611) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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