Book Title: Dan Shasanam
Author(s): Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Govindji Ravji Doshi

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ दानशासनम् Annanamaana - - पृष्ठ श्लोक २३ गुरुजन राजाका पाप नाश करते हैं २४ उत्तमद्विज पापार्जितद्रव्यको ग्रहण नहीं करते हैं ११ २५ पापार्जितद्रव्यदानसे दुर्गति मिलती है २६ पापसे द्रव्य कमानेवाला राजा मूर्ख है ११ २७ द्विजलोग पापार्जित द्रव्यकी इच्छा नहीं करते ११ २८ पापी राजाका द्रव्य उत्तमपुरुष नहीं लेते १२ इत्यष्टविधानलक्षणम् ॥ द्वितीयोऽध्यायः २९ मंगलाचरण व प्रतिज्ञा ३० पात्रापात्रविवेकशून्य कर्मसंचय करते हैं ३१ दानसे सब वश होज ते हैं ३२. सत्पात्रदानफल १४ ४-५ ३३ शांतसच्चारित्र दाताओंको देखकर सब शांत होजाते हैं१४ ३. दातारोंके भेद ३५ आपत्रदान निषेध ३६ मिथ्यादृष्टिदाननिषेध ३७ क्रोधी व शत्रुजारादिकों को दाननिषेध ३८ दानधनसे पुण्यपाप कमाते हैं ३९ सम्यग्दृष्टिको जैनसंघकी रक्षा करनी चाहिए १६ १२.१३ ४० दानसे किन, २ उद्देश्यों की पूर्ति होती है ? ..... १७ ४१. सत्पात्रदानका माहात्म्य ४२ दान सुभोजनके समान है ४३. तप आदिसातगुण क्षेत्रादिके समान हैं १८ १७ ४४ सत्पात्रका आदर व अनादर करनेका फल १८-१९ १८-१९ । ४५. पात्रदानसे दोषनाश और गुणलाभ १९ २० * * * *

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 380