Book Title: Dan Shasanam
Author(s): Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Govindji Ravji Doshi

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Page 10
________________ विषयानुक्रमणिका AAAAAAAA - Mr me पृष्ठ श्लोक १६ दयादिगुण गंगानदी आदिके समान हैं २०:२१ .४७ दानमें आदरभाववालेको क्रोधादिक दूषित नहीं करते २० २२ .४८ पात्रप्रेमका फल २०. २३ १९ सभी पात्र दानीके आश्रयमें आते हैं ५० अनादरका निषेध २१ २५ ५१ दानके पांच दोष ५२ दानके गुणपंचक इत्युत्समपात्रसामान्यविधिः ॥ तृतीयोऽध्यायः ५३ दानके भेद ५४ चारो दानोंमें अभयदान श्रेष्ठ है ५५ अभयदानका लक्षण २३ ३ ५६ अभयदाता आदरणीय है ५७ अभयदान परंपरासे मोक्षदायक है ५८ अभयदानका माहात्म्य . ५९. शरणागत शत्रुका रक्षण करना भी अभयदान है २५ ६० प्रकारान्तरसे भी अभयदान बतलाते हैं २५ ८ ६१ अभयदानीको पाप पीड़ा नहीं देता है . ६२ राजासे अभयदान कैसे मांगमा चाहिये ? ६३ उद्धार करनेयोग्य चीजें . . ६४ अभयदानके अनेक भेद २७ १३ ६५ अभयदानसे ही श्रेष्ठ सुख मिलता है ६६ अभयदानसे मिलनेवाले लाभ २८ १५-२४ ६७ निर्दयतासे होनेवाले फलको उदाहरणके द्वारा दिखाते हैं ३१ २५ or or 52 v. or . २७ .. १२ ___.

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