Book Title: Chandrayash Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 23
________________ S Maham An Kende Acharya kaila n mandi सान्वय भाषान्तर ॥१९॥ चंद्रयशः टा नागरीको पण तेने पकडी शक्या नही. ॥ ५६ ॥ चरित्रं उत्फुल्लफेनया धावद्धयानां सेनया मया। मनसेवेन्द्रियग्रामः सोऽन्वगामि प्रवेगिना ॥ ५७॥ __ अन्वय:-उत्फुल्छ फेनया पावत् हयाना सेनया-(सह) मनसा इन्द्रिग्रामः इव, प्रवेगिना मया सः अन्वगामि. ॥ ५७ ॥ अर्थः-मुखमां आवेला फीणवाळी, एवी दोडता घोडाओनी सेना सहित, मन जेम इन्द्रियोना समूहनी पाछळ जाय, तेम अ-है स्यंत वेगवाळो एचो हुँ तेनी पाछळ जवा लाग्यो. ॥ ५७॥ पर्यन्तं पर्यटन्पुर्यास्तदन्वेषपरः पुरः । आलोकयं चमूं कांचित्काञ्चनोद्भासिभूषणाम् ॥ ५८॥ अन्वय:--तत् अन्वेषपरः पुर्याः पर्यतं पर्यटन् ( अहं) पुरः कांचन उद्भासि भूषणां कांचित् च आलोकयं ॥ ५८॥ अर्थः-तेने शोधवामा तत्पर थयेला, (अने तेथी) नगरनी आसपास भमता एवा में आगळ सुवर्णना तेजस्वी आभूषणोवाळी कोइक सेनाने जोइ. ।। ५८ ॥ तदन्तर्भद्रदन्तीन्द्रपृष्ठारूढस्य कस्यचित् । करे तेनार्पि सा सोऽपि तां वामाले न्यवीविशत् ॥ ५९॥ ___ अन्वय:-तत् अंतः भद्र दंतींद्र पृष्ठ आरूढस्य कस्यचित् करे तेन सा अर्पि, सः अपि ता वामांगे न्यवीविशत ।। ५९ ॥ अर्थ:-ते सेनानी वचमा रहेला भद्रजातिना गजराजनी पीठपर बेठेला कोइक माणसना हाथमा ते माणसे तेणीने सौंपी, अने Bा तेणे पण ते मारी राणीने (पोताना)खोळाना डाबी तरफना भागपर बेसाडी. ॥ ५९ ।। For Private And Personal Use Only

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