Book Title: Chandrayash Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 30
________________ S Maham An Kende Acharya kaila n mandi चंद्रयशः सान्वय चरित्रं भाषान्तर ॥ २६ ॥ सुभटो नम्या के कंप्या नही. ७९ ॥ वपुषो निखिलस्यापि शक्त्या मुष्टिप्रविष्टया । दृढयन्तः प्रहरणान्यहितान्प्राहरन्भटाः ॥ ८॥ अन्वयः-निखिलस्य अपि वपुषः मुष्टि प्रविष्टया शक्त्या महरणानि दृढयन्तः भटाः अहितान् पाइरन्. ।। ८०॥ अर्थ:-आखाये शरीरनी मुठीमा आवेली शक्तिवडे हथीयारोने मजबूत पकडीने सुभटो शत्रुओने महार करवा लाग्या. ॥८॥ ताहग्युद्धश्रिया धन्यंमन्यो मन्योर्वशं गतः । प्रहारेषु लगत्वङ्गं भटः कण्टकितं दधौ ॥८१॥ अन्वयः-ताहग युद्ध श्रिया धन्यमन्या, मन्योः वशं गतः सुभटः प्रहारे लगत्सु कंटकितं अंगं दधौ. ।। ८१॥ अर्थ:-तेवा प्रकारनी युद्धलक्ष्मीथी (पोताने) भाग्यशाली मानतो, तथा क्रोधने वश थयेलो सुभट (शखोना) प्रहारो लागत! रोमांचित शरीरने धारण करवा लाग्यो. ॥ ८१ ॥ विलठत्तुरगनातं पतन्मातङ्गमण्डलम् । त्रुटच्छकटसंधानबन्धं नृत्यत्कबन्धकम् ॥ ८२॥ लोलत्कीलालकल्लोलमालिनीमण्डलं ततः । पक्षद्वयक्षयकरं प्रावर्धत रणक्षणम् ॥ ८३ ॥ युग्मम् ॥ ___अन्वयः-ततः विलुठत् तुरग वातं, पतत् मातंग मंडलं, त्रुटत् शकट संधान बंध, नृत्यत् कबंधक, 1८२॥ लोलत् कीलाल कल्लोल मालिनी मंडलं, पक्ष द्वय क्षय कर रणक्षणं भावर्धत. ।। ८३ ।। अर्थ:-पछी (त्यां घोडाओना समूहो (घायल थइ ) लोटवा लाग्या, हाथीओनो टोल पडवा लाग्यो, साल, बंधनो विगेरे For Private And Personal Use Only

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