________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
. १५३
॥सा०॥ लिंग देखीने भावे प्रणमाया, सचिव उदय गुणग्राही ॥ सा० न० ॥ ४ ॥ भरतने केवल उपनो, लिंग विण नमीया नहीं देव ॥ सा०॥ कहे उपदेश एक संबंधनो, असुच्चा केवली ततखेव ॥ सा० ॥१०॥ ॥५॥ ज्ञान- फल विरति कडं, बहुविध शास्त्रमझार सा० ॥ चारित्र महाराजा तणा, ज्ञान समकित दो प्रतिहार ॥ सा० ॥ न०॥६॥ गति चारमा समकित पामीये, नरगतिमाही संयम सिद्ध सा०॥ किरियानय शास्त्रनो अंग छे ॥ नियुक्तिना वचन प्रसिद्ध ॥ सा० ॥न०॥७॥ सर्व संवरी किरिया विना, ज्ञानने सुगति न होय ॥ सा०॥ अनंतर कारण हु सही, तेह धुर सिद्धा सहु कोय ॥ सा० ॥ न०॥८॥ ॥ ढाल ॥ ६ ॥ आदर जीव क्षमा गुण आदर ॥ए देशी॥
॥ जिनवर मंदिर सयल महियलमां, सोवन रयण मंडावेजी ॥ एक दिवसना चरण समोवड, कहो ते किम करी थावेजी ॥ आदर जीव किरिया गुण मनोहर, म करशि वाद विवादजी ॥ए आंकणी ॥१॥ केवलीने पण एक संयमर्नु, स्थानक स्थिर रहे शुद्धजी
For Private And Personal Use Only