Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Author(s): Purvacharya
Publisher: Master Umedchand Raichand

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Page 515
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोयण, उल्लसित उरें ललितांगीजी ॥ ब्रह्माणी देवी निरवाणी, विघ्न हरण कणयंगीजी ॥ मुनिवर मेघ, रत्नपद अनुचर, अमर रत्न अनुभावेजी ॥ निरवाणी, देवी प्रभावें, उदय सदा सुख पावेंजी ॥४॥ ॥ श्री नेमनाथजीनी स्तुति ॥ ॥ श्रावण शुदी दीन पंचमीए । ए देशी ॥ ॥ जादव कुल श्री नंद समाए, नेमीसर ए देवतो ॥ कृष्ण आदेशे चालीया ए, वरवा राजुल नारतो ॥ अनुक्रमे त्यां आवीया ए, उग्रसेन दरबार तो ॥ इंद्र इंद्राणी नाचता ए, नाटक थाय तेणी वार तो ॥ १॥ तोरण पासे आवीया ए, पशुओनो पोकार तो ॥ सांभली मुख मरोडीयु ए, राजुल मन उचाटतो।। आदीनाथ आदी तीर्थकर ए, परण्या छे बहु नार तो ॥ तेणे कारण तुमे कांइ डरोए, परणो राजुल नारतो ॥ २ ॥ रथ फेरी संजम लीयो ए, चढीया गढ गीरनार तो ॥ नेमीश्वर काउसग रह्या ए पाम्या केवळसार तो ॥ सोळ पहोर दीये देशना ए, आपी अखंडा धारतो ॥ भविक जीव प्रतिबो For Private And Personal Use Only

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