Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Prachin Pustakoddhar Fund
Publisher: Prachin Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२१७) नारकीने ए। कोम वरस कही ए॥ ६॥ ज्ञान तणो अधिकार । या सूत्र मकार ॥ किरिया ने सहीए ॥ ७ ॥ पण पानें कही ए॥ किरिया सहित जो ज्ञान । हुवे तो अति परधान ॥ सोनोने सूरो ए । शंख दूधे जयो ए ॥ ॥ महा निशीथ मकार । पंचमी अदर सार ॥ लगवंत जाखीयो ए गणधर साखियो ए ॥ ए॥
॥ ढाल २ जी॥ कालहरानी एदेशी ॥ पंचमी तप विधि सांजलो । जिम पामो लव पारो रे । श्री अरिहंत श्म उपदिशे। नवियणने हितकारो रे ॥ पंच० ॥१॥ मिगसर माह फागुण जला । जेठ आषाढ वैशाखो रे ॥ण षटमासें लीजियें । शुजदिन सशुरु साखो रे ॥ पंच० ॥२॥ देव जुहारी देहरें । गीतार्थ गुरुवंदी रे ॥ पोथी पूजो ज्ञाननी सगति हुवेतो नंदी रे ॥ पंच० ॥ ३॥ बेकर जोमी लावशुं । गुरू मुख करो उपवासो रे ॥ पंचमी पमिकमणो करो। पढो पंमित गुरु पासो रे ॥४॥ जिण दिन पंचमी तप करो। तिण दिन आरंज टालो रे ॥ पंचमी स्तवन थुई कहो । ब्रह्मचारिज पिण पालो रे ॥ ५॥ पंचमास लघु पंचमी । जावजीव उत्कृष्टीरे ॥ पांच वरस पंचमासनी । पंचमी करो शुन दृष्टि रे॥६॥
॥ढाल ३ जी॥ हिव नवियणरे पंचमी ऊजमणो सुणो । घर सारूरे बारू धन खरचो घणो ॥ए अवसररे श्रावंतां वलि दोहिलो । पुण्य जोगेरे धन पामंतां सोहिलो ॥ उबालो ॥ सोहिलो वलिय धन पामंतां पण धर्मकाज किहां वली। पंचमी दिन गुरु पास
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345