Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४४
अग्रवाल जाति का इतिहास
पुराणों का प्राचीन वंशावलियों को जानने के लिये बड़ा भारी उपयोग है।
(२) महाभारत तथा रामायण-इनमें भी अनेक बंशावलियां दी गई हैं । वैशालक वंश का वर्णन इन ग्रन्थों में भी है। इस दृष्टि से इनका भी अग्रवाल-इतिहास के लिये उपयोग है । महाभारत में ही आग्रेय गण का वर्णन है, जिससे हमने अग्रवालों की उत्पत्ति प्रदर्शित की है ।
(३) संस्कृत के प्राचीन व्याकरण ग्रन्थ- इनमें अन कुल का उल्लेख होने से इनका हमने अपने अध्ययन में बहुत प्रयोग किया है । पाणिनि मुनि की अष्टाध्यायी प्राचीन भारतीय इतिहास के लिये बड़ी उपयोगी पुस्तक है । उससे बहुत से प्राचीन राज्यों, वंशों व कुलों का पता मिलता है।
(४) ग्रीक यात्रियों के यात्रा विवरण-ईसा से पूर्व चौथी शता. ब्दि में मैसिडोन के राजा सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था। उसके आक्रमणों का हाल अनेक ग्रीक ऐतिहासकों ने लिखा है । भारत के पुराने इतिहास के लिये इनका बड़ा महत्व है। सिकन्दर ने जिन राज्यों को जीता था, उनमें 'अगलस्सि' भी एक था। हमने इसे 'पाय' से मिलाया है । अगरोहा पर सिकन्दर के अाक्रमण की कथा भाट लोग भी सुनाते हैं। ग्रीक लेखकों में से अन्यतम टालमी ने संसार का जो भूगोल लिखा है, उसमें भारत में 'अगारा' नामक एक शहर का उल्लेख है, जिसे हमने अगरोहा बताया है। इस दृष्टि से इन ग्रीक लेखकों के लेख भी अग्रवाल-इतिहास के लिये बड़े उपयोगी हैं ।
For Private and Personal Use Only