Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
१७८
तन्मतं पालयामास जनैः सर्व गगौः वृतः ।। १५६ अथो सुदर्शनो राजा पुत्रान् ‘गृपासनम गतो वाराणसी तीर्थ सन्यासेन जही तनुम् || १६० श्रीनाथस्य महादेवः तत्पुत्रस्तु यमाधर: तस्यासीत् शुभांगो मलयो वसुः ॥ १६१ वसोर्दाशीदशा (?) पुत्राः शाखास्तस्याष्टधाभवन् मलयस्य कवेर्नन्दो विरागी चन्द्रशेखरः ॥ १४२ यस्याग्रचन्द्रोऽभूत् यस्मात् राज्य. कलो यापुत्रपौत्रवंश्यैश्च सुखी स्यान्नगरः सदा ॥१६३
जैनों के समूह से घिरा रह कर जैन मत का पालन किया । १५९
उसके अनन्तर सुदर्शन राजा हुवा। उसने पुत्रों को सिंहासन पर (बिठाकर ) स्वयं वाराणसी तीर्थ में जाकर सन्यास द्वारा शरीर त्याग किया । १६०
श्रीनाथ का महादेव, उसका लड़का यमाधर, उसका शुभांग, फिर मलय और वसु हुवे । १६१
वसु के दाशीदश (?) ( अनेक ) पुत्र हुवे, जिनसे आठ शाखायें होगई । मलय कवि के नन्दी, फिर विरागी चन्द्र शेखर हुवा । १६२
उसके अग्रचन्द्र हुवा । जिससे कलि में राज्य...... । उसके पुत्र, पौत्र तथा घंशजों से नगर सदा सुखी रहे । १६३
For Private and Personal Use Only