Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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तित्थसिद्धा० जाव अणेगसिद्धा०, सेत्तं अणंतरसिद्धा० से किं तं परंपरसिद्धासंसारसमावण्णगजीवाभिगमे?. २ अणेगविहे पं० २०|| पढमसमयसिद्धा० दूसमयसिद्धा० जाव अणंतसमयसिद्धा०, से तं परंपरसिद्धासंसारसमावणगजीवाभिगमे, सेत्तं असंसारसमावण्णगजीवाभिगमे ७से किं तं संसारसमावन्नजीवाभिगमे?, संसारसमावण्णएसु णं जीवेसु इमाओ णव पडिवत्तीओ एवमाहिजति, तं०-एगे एवमाहंसु दुविहा संसारसमावण्णगा जीवा पं०, एगे एवमासु तिविह। संसारसमावण्णगा जीवा पं०, एगे एवमाहंसु चव्विहा संसारसमावण्णगा जीवा पं०, एगे एवमाहंसु पंचविहा संसारसमावण्णा जीवा पं०, एतेणं अभिलावेणं जाव दसविहा संसारसमावण्णगा जीवा पं० १८॥ तत्थ णं जे एवमासु दुविहा संसारसमावण्णा जीवा पं० ते एवमाहंसु, तं०-तसा चेव थावरा चेव।९।से किं तं थावरा ?, २ तिविहा पं००-पुढवीकाइया आउकाइया वणस्सइकाइया ।१०।से किं तं पुढवीकाइया?, २ दुविहा पं० २०- सुहुमपुढविक्काइया य बायरपुढविक्काइया य ।११।से किं तं सुहुमपुढविकाइया ?, २ दुविहा/ पं० ०-प्रज्जतगा य अपज्जत्तगा य । १२ । तेसिं णं भंते । जीवाणं कति सरीरया पं०, गो० । तओ सरीरगा पं० २०- ओरालिए तेयए कम्मए, तेसिंणं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पं०?, गो०! जह० अंगुलासंखेजतिभागं उक्को० अंगुलासंखेजतिभागं, तेसिं णं भंते ! जीवाणं सरीरा किंसंध्यणा पं०?, गो०! छेवटुसंध्यणा पं०, तेसिं णं भंते ! सरीरा किंसंठिया पं०?, गोयमा! मसूरचंदसंहिता पं०, तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति कमाया पं०?, गो०! चत्तारि कसाया पं० २०-कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए || श्री जीवाजीवाभिगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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