Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir कालं ठिती पं०?, गो०! जह० अंतोमुहत्तं उक्को० अंतोमुहत्तं, ते णं भंते! जीवा मारणंतियसमुग्धातेणं किं सभोहया मरंति असमोहया | भरंति? गो०! समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति, ते णं भंते! जीवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववजति?-किं नेइएसु उववजंति तिरिक्खजोणिएसु ३० मणुस्सेसु ३० देवेसु उवव०?, गो०! नो नेरइएसु उववजति तिरिक्खजोणिएसु ३० भणुस्सेसु ३० णो देवेसु उवव०, जइ तिरि० किं एगिदिएसु उववजंति जाव पंचिंदिएसु ३०?, गो०! एगिदिएसु उववजति जाव पंचेदियतिरिक्खजोणिएसु उववजति असंखेजवासाउयवजेसु प्रज्जत्तापज्जत्तएसु उव० मणुस्सेसु अम्मभूमगअंतरदीवाअसंखेजवासाउथवजेसु पज्जत्तापजत्तएसु उव०, ते णं भंते! जीवा कतिगतिका कतिआगतिका पं०?, गो०! दुगतिया दुआगतिया परित्ता असंखेजा पं० समकाउसो! सेत्तं सुहमपुढविक्काइया ११३। से किं तं बायरपुढवीकाइया, २ दुविहा पं० ०सण्हबायरपुढविक्काइया य खरबायरपुढविक्काइया य ।१४ । से किं तं सहबायरपुढविकाइया?, २ सत्तविहा पं० ०- कण्हमत्तिया भेओ जहा पण्णवणाए जाव ते सभासतो दुविहा पं० २०-पजत्ता य अपज्जत्तगा य, तेसिं णं भंते! जीवाणं कति सरीरमा पं०, गो०! तओ सरीरगा पं० २०-ओरालिए तेयए कम्मए तं चेव सब्द नवरं चत्तारि लेसाओ अवसेसं जहा सुहुभपुढविकाइयाणं, आहारो जाव णियमा छद्दिसिं, उववातो तिरिक्खजोणियमणुस्सदेवेहिंतो देवेहिं जाव सोधभ्मेसाणेहितो, ठिती जह० अंतोमुत्तं उक्को० बावीसं वाससहस्साई, ते णं भंते! जीवा मारणंत्यिसमुग्धाएणं किं समोहया मरंति असमोहता मरंति?, गो०! समोहतावि मरंति श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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