Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Archana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ॥ श्री जीवाजीवाभिगमोपांगम् ॥ इह खलु जिणमयं जिणाणुमयं जिणाणुलोमं जिणप्पणीतं जिणपरूवियं जिणक्खायं जिणाणुचिन्नं जिणपण्णत्तं जिणदेसियं जिणपसत्थं अणुवीईए तं सद्दहमाणा तं पत्तियमाणा तं रोएमाणा थे। भगवंतो जीवाजीवाभिगमणाममञ्झ्य णं पण्णवइंसु।१ से किं तं जीवाजीवाभिगमे ?, २ दुविहे पं० २० जीवाभिगमे य अजीवाभिगमे य । २ । से किं तं अजीवाभिगमे ? २ दुविहे पं० तं० रूविअजीवाभिगमे य अरूविअजीवाभिगमे य ।३ । से किं तं अरूविअजीवाभिगमे ?, २ दसविहे पं० २० - धम्मत्थिकाए एवं जहा पण्णवणाए जाव सेत्तं अरूविअजीवाभिगमे ।४।से किं तं रूविअजीवाभिगमे ?, २ चविहे पं० २० - खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते सभासतो पंचविहा पं०० वण्णपरिणया गंध० रस० फास० संठाणपरिणया, एवं ते जहा पण्णवणाए, सेत्तं रूविअजीवाभिगमे, सेत्तं अजीवाभिगमे । ५ । से किं तं जीवाभिगमे ? २ दुविहे पं० ० संसारसमावण्णगजीवाभिगमे य असंसारसमावण्णगजीवाभिगमे या६ से किं तं असंसारसमावण्णग०१२ दुविहे पं० २० - अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णगजीवाभिगमे य परंपरासिद्धासंसारसमावण्णगजीवाभिगमे य, से किं तं अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णगजीवाभिगमे?, २ पण्णरसविहे पं० २०॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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