Book Title: Acharanga Stram Part 01 Author(s): Shilankacharya Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचा० सूत्रम् ॥ ५॥ CAऊ (पदोने नोडीने अर्थ करवो ते) मा छे, मने भवथी दूर करे ते मंगळ अथवा मने, गळ एटले विघ्न न थाओ, अथवा गाल एटले त नाश, शास्त्रनो न याओ (मारु भणेलुं स्थिर अने उपयोगी थाओ) अहीं बाकी रहेल आक्षेप ( वादीनी शंका ) अने परिहार (स-1 माधान) विगेरे अन्य ग्रन्थोथी जाणवा. हवे आचारनो अनुयोग करे छे अर्थनुं कहे ते अनुयोग, अथवा सूत्रनी पळवाहे अर्थ 8 बतायचो ते एटले पहेलुं सूत्र भणावअने पछी तेनो अर्थ बताववो अथवा अणु ते नानुं सूत्र तेनो विशाळ अर्थ कहेवो ते, ते V आ पछीना कहेवाता द्वारो बडे जाणवु ते आ पमाणे छे. निक्खवेगट्टनिरुत्तिविहिपवित्ती य केण वा कस्स तदारभेयलक्खण, रादरिहपरिसा य सुत्तस्थो ॥१॥ (भा दशवैकालिकसूत्रनी नियुक्तिनी पांचमी गाथा छे) तेमा निक्षेपो नाम विगेरे सात प्रकारे छे. नाम अने स्थापना एचे नि. क्षेपा सुगम छे. द्रव्यथी अनुयोग वे मकारे छे आगमथी अने नो आगमयी तेमा आगमथी ज्ञाता होय पण तेमां उपयोग न राखे,8 त अने नोआगमी ज्ञशरीर, भव्य शरीर, अने तेनाथी जुदो अनेक प्रकारे छे. द्रव्य वडे एटले साटिका (खडी) विगेरेथी, अथवा द्रव्यनो एटले आत्मा परमाणु विमेरेनो अनुयोग अथवा द्रव्यमां एटले निषया विगेरेमा अनुयोग थाय, ते द्रव्यानुयोग, क्षेत्रानुयोगमा, क्षेत्रवडे, क्षेत्रनो, अथवा क्षेत्रमा अनुयोग ते आ प्रमाणे छे काळ बडे काळनो अथवा काळमां अनुयोग जाणवो, वचनानुयोग ते एक वचन विगेरेथी जाणवा. हवे भावानुयोगर्नु वर्णन करे छे ते चे प्रकारे आगमथी, अने नो आगमथी, आगमथी ज्ञाता अने उपयोग राखनार, नोआगमथी औपशमिक विगेरे भावो वडे तेओना अर्थनूं कहेचु, आ शिवाय बाकीर्नु आवश्यकमुत्रथी । For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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