Book Title: Acharanga Stram Part 01
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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निक्षेपण ते निक्षेपो जेनावडे जेनाथीजेमा थाय ते निक्षेप छे. उपक्रमयां छावेला सांभळनार शिष्यने पासे लावीने कहेवाना शास्त्रनु । आचार नाम विगेरे वताव. ते त्रण प्रकारे छे. ओघनिष्पत्र, नामनिष्पन्न, मूत्रालापकनिष्पन्न, तेमां अंग अध्ययन विगेरेनु सामान्यनाम सूत्रम्
६ स्थाप ते भोयनिष्पन्न छे, अने आचार, शास्त्र, परिज्ञा, विगेरे विशेष अभिधान नाम स्थापनु अने सूत्रना आलाचानु नाम र विगेरे स्थापg, ते सूत्र आलापकनिष्पन्न जाणवू.:
W८॥ हवे अनुगम कहे छे. जेनावडे अथवा जेनाथी अथवा जेनामा अनुगमन धाय ते अनुगम जाणत्रो एटले ते अर्थन कथन छे.
था अनुगम नियुक्ति अनुगम, अने सूत्रानुगम, एम चे प्रकारे थे, पहेलो नियुक्ति अनुगम, त्रण प्रकारे छे. निक्षेप नियुक्ति, तथा उपोद्घात नियुक्ति, तथा सूत्र स्पर्शिक नियुक्ति अनुगम छे. तेमां पहेलो निक्षेप पोते छे तेमा सामान्य विशेष कद्देवावडे ओघ | निष्पन अने नाम निष्पन्न, ए चे निक्षेपावले कहेलो सूत्रनी अपेक्षाए के. तेनुं लक्षण हवे पछी कईशे, उपोदयात नीचे आपेली
आ ये गाथाओथी जाणवो. । उद्देसे णिदेसे य, णिग्गमे खेत्तकालपुरिसे य, कारणपच्चयलक्खण णए समोयारणाऽणुमए ॥ १॥ किं कतिविहं कस्स कहिं केसु कहं केच्चिरं हवइ कालं। कइसं तरमविरहियं भवागरिस फासणणिरुत्ती। उद्देशो, निर्देश, निर्गम, क्षेत्र, काल, पुरुष, कारण, प्रत्यय, लक्षण, नयो, सपावतार, अनुमत, ॥॥ शृं, केटला प्रकारचें, कोर्नु, यां, कोनामा, केवीरीते, केटलो काळ छे, केटलु अंतरवालु, अंबर रहित, भावाकप स्पर्शना निरुक्ति जाणवू ॥२॥
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