Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ (१०) क्षण तक जीभ को ही सन्तुष्ट कर सकता है, मन को नहीं । अतः भोजन के लिए अत्यधिक विवेक व समझदारी की आवश्यकता है । यह सत्य है कि भोजन हमारे शरीर के लिए अनिवार्य है । इतने आवश्यक तथा अनिवार्य विषय में भी यदि हम लापरवाह रहते हैं या अज्ञानग्रस्त रहते हैं तो यह अधिक खतरनाक बात है । भोजन के विषय में हम कुछ विस्तारपूर्वक चर्चा करें । जिससे विषय स्पष्ट हो सके । संतुलित आहार के आवश्यक तत्त्व : आधुनिक आहार विज्ञानी संतुलित भोजन पर अधिक बल देते हैं । संतुलित आहार से उनका अभिप्राय ऐसे भोजन से है जिससे शरीर को पोषण मिले और उसकी सारी आवश्यकताएँ पूरी हो जायें । इस दृष्टि से वे भोजन में आठ तत्त्वों का उचित परिमाण में होना आवश्यक मानते हैं : -

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68