Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 41
________________ पाचन क्षमता से अधिक भोज्य पदार्थ उदरस्थ कर लेना । उचित मात्रा में दूध आदि पदार्थ लाभकारी होते हैं जबकि इन्हीं पौष्टिक और लाभदायी पदार्थों का अतिंमात्रा में सेवन रोगों का संवाहक बन जाता है। __ वैसे अति मात्रा क्या है और उचित मात्रा क्या है ? इसका निर्धारण बहुत ही टेढ़ा प्रश्न है । एक व्यक्ति ३-४ लीटर दूध को पानी की तरह हजम कर जाता है और कोई व्यक्ति ऐसा भी होता है जिसके लिए आधा लीटर दूध भी वायु विकार एवं अपच का कारण बन जाता है। ___इस स्थिति में अति मात्रा की सीमा निर्धारण करना भी बड़ा कठिन है । यह तो व्यक्ति विशेष की पाचन क्षमता पर ही निर्भर है। फिर भी इतना कहना आवश्यक है कि "अति सर्वत्र वर्जयेत्" अति का सर्वत्र वर्जन

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