Book Title: samaysar
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Jain Granth Uddhar Karyalay

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Page 509
________________ ४९६ रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् । [ सर्वविशुद्धज्ञानहमचीकरं मनसा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ३६ यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं मनसा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ३७ यदहमकार्ष वाचा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ३८ यदहमचीकरं वाचा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ३९ यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं वाचा च कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ४० यदहमकार्ष मनसा च तन्मिथ्या मे दुष्कृतं ४१ यदहमचीकरं मनसा च तन्मिथ्या मे दुष्कृतं ४२ यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं मनसा च तन्मिथ्या मे दुष्कृ सप्तभंगी योजनीया । एवं-एकोनपंचाशद्धंगा भवंतीति प्रतिक्रमणकल्पः समाप्तः । इदानी प्रत्याख्यानकल्पः कथ्यते-तथाहि-यदहं करिष्यामि यदहं कारयिष्यामि यदहं कुर्वतमप्यन्यं प्राणि कर कराया मनकर कायकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह छत्तीसवां भंग है । इसमें कारित एक ले मन और काय ये दो लगाये इसलिये बारहकी समस्यासे बारहका भंग कहना । ३६ । १२ । जो पापकर्म अतीतकालमे मैंने अन्य करते हुएको भला जाना मनकर कायकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह सैंतीसवां भंग है । इसमें अनुमोदना एक ले मन और काय लगाये । इसलिये बारहकी समस्यासे बारहका भंग कहना । ३७ । १२ । जो पापकर्म मैंने अतीतकालमें किया वचनकर कायकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह अड़तीसवां भंग है । इसमें कृत एक ले वचन और काय दो लगाये इसलिये बारहकी समस्यासे बारहका भंग कहना । ३८ । १२। जो पापकर्म अतीतलमें मैंने अन्यको प्रेरकर कराया वचन कायकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह उ. नतालीसवां भंग है । इसमें कारित एक ले वचन काय दो लगाये इसलिये बारहकी समस्यासे बारहका भंग कहना । ३९ । १२ । जो पापकर्म अतीतकालमें मैंने अन्य करते हुएको भला जाना वचनकर कायकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह चालीसवां भंग है । इसमें अनुमोदना एक ले वचन और काय ये दो लगाये इसलिये बारहकी समस्यासे बारहका भंग कहना। ४० । १२ । ऐसे वारहकी समस्याके नौ भंग हुए ॥ जो पापकर्म मैंने अतीतकालमें किया मनकर वह पापकर्म भेरा मिथ्या हो ॥ यह इकतालीसवां भंग है । इसमें एक कृत ले एक मन लगाया इसलिये ग्यारहकी समस्यासे ग्यारहका भंग कहना । ४१ ।११। जो पापकर्म मैंने अतीतकालमें अन्यको प्रेरकर कराया मनकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह ब्यालीसवां भंग है । इसमें एक कारित ले एक मन लगाया इसलिये ग्यारह की समस्यासे ग्यारहका भंग कहना । ४२ । ११ । जो पापकर्म अतीतकालमें मैंने अन्य करते हुएको भला जाना मनकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह तेतालीसवां भंग है । इसमें एक अनुमोदना ले एक मन लगाया इसलिये ग्यारहकी समस्यासे ग्यारहका भंग हुआ। ४३ । ११ । जो पापकर्म मैंने अतीतकालमें किया व

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