Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (24) 8 मंडार___ इसमें अच्छे भावुक और गुणीसाधुओं के प्रेमी ओशवालजैनों के अन्दाजन 250 घर हैं। गाँव में दो सौधशिखरी जिनालय हैं / जिसमें पोसाल का मन्दिर प्राचीन और इसके मूलनायक श्रीधर्मनाथ हैं, जो श्वेतवर्ण एक हाथ बड़े हैं। इसके मूल. प्रवेशद्वार के दहिने तरफ तीन हाथ बडे विमलनाथ और पार्श्वनाथ के दो कायोत्सर्गस्थ बिम्ब हैं, जो ब्रह्माणगच्छीय श्रीविमलमूरि से सं० 1259 वैशाखसुदि 5 बुधवार के दिन प्रतिष्ठित हुए हैं। दूसरा महावीर-मन्दिर जो नवीन बनाया गया है / यहाँ से एक कोश के फासले पर ' गूंदरी' गाँव है, जिसमें ओशवालजैनों के 2 घर हैं, जो अनियतवासी हैं। वस, यहाँ सिरोही रियासत की हद पूरी होती है और पालणपुर की हद का आरम्भ होता है / 9 आरखी___ पालणपुरस्टेट का यह छोटा गाँव है / इसमें वृद्धशाखीय पोरवाड जैनों के 15 घर, एक छोटा उपाश्रय, एक धर्मशाला और एक छोटे शिखरवाला जिनमन्दिर है। इसमें मूलनायक श्रीऋषभदेव और श्रीमहावीरप्रभु की श्वेतवर्ण भव्य प्रतिमा विराजमान है। 10 पांथावाडा एक छोटी पहाडी के नीचे ढालू जमीन पर यह गाँव