Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 91 ) विचार सार्थ की परीक्षा में प्रायः सभी बालक बालिकाओं का अभ्यास सफल मनोरथ पाया गया / परीक्षा के अन्त में स्थानीय संघ के तरफ से बालक बालिकाओं को धार्मिक पुस्तकों का इनाम और संघपति प्रतापचंदधूराजी के तरफ से प्रीतिभोजन दिया गया / अस्तु, यहाँ संघपतिने जिनमन्दिर में साजबाज के साथ बडी पूजा भणा कर शहर में तपागच्छीय जैनों को संघजमण दिया / माघकृष्ण 7 के दिन मोरबी से प्रयाण कर संघ 7-8 वेला, 10 जेतपुर, 11 खाखरेची में ठहरता और संघभक्ति का लाभ लेता लिवाता हुआ द्वादशी के दिन दश वजे सुवह वेणासरगाँव आया / स्थानीय संघने संघ का स्वागत प्रशंसा जनक किया / संघपति के तरफ से भी यहाँ एक दिन अधिक ठहर कर, स्थानीय संघ को प्रीतिभोजन दिया गया / वस, इसी गाँव की सीमा से कच्छ की हद शुरू होती है और कच्छीय भयंकर रण के दर्शन होते हैं। माघकृष्ण (गुजराती पोसवदि) 14 के दिन वेणासरगाँव से संघ प्रातःकाल में पांच वजे रवाने होकर आधा कोश रणकांधी, पांच कोश का रण और साढे तीन कोश की कांधी विना रुकावट के पसार कर साढे तीन बजे माणाबा गाँव पहुंचा / संघ में सभी श्रावक श्राविका छरी पालते पैदल चलनेवाले थे, इसलिये नव कोश लंबी मुसाफरी के कारण सब थक गये /