Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh

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Page 189
________________ ( 176 ) अनन्त भव्य सिद्ध हुए हैं जी राज / आगामि काल केई होवेंगे // सिद्धाचल० // 2 // पांडव वीस कोडी साथ में हो राज / सिद्ध हुए ए गिरि आय रे // सिद्धाचल० // 3 // __ थावच्चाऋषि इक सहस्र से हो राज / मुक्ति पहुंचे परिवार रे // सिद्धाचल० // 4 // __ एसे कईक देखो दाखले हो राज / किससे कहे न कदी जाय रे // सिद्धाचल० // 5 // विमलवसही नामे दीपती हो राज / देहरासर चउतीस रे ॥सिद्धाचल० // 6 // लघु देहरियाँ उनसाठ है जी राज / बिंब सहस्र सवा तीन रे // सिद्धाचल० // 7 // चरणपादुका के कई जोडले हो राज / देखत हर्ष बहु होय रे ॥सिद्धाचल० // 8 // मूलमंदिर ऋषभदेव का हो राज / रायणरूंखे सुखकार रे ॥सिद्धाचल० // 9 // ऐसे जिनेश्वर को मेटते हो राज / पातिक पलमें मिट जाय रे // सिद्धाचल० // 10 // संवत् उगणीस नेऊ साल में हो राज / भेटे राजेन्द्र-रविराय रे ॥सिद्धाचल० // 11 // यतीन्द्रउवज्झाय भावे वंदता हो राज / शिवपुर सहेजे भवि पाय रे // सिद्धाचल० // 12 //

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