Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहिला हिस्सा और उन पर सूरज की किरणे सोधी पड़ा करती हैं उन में सदा गर्मी बहुत ज़ियादा बनी रहती है। और जिन पर सामने न रहने से सरज की किरणें तिरछी पड़ती हैं उन में सदा सर्दी बहुत ज़ियादा रहा करती है । जो इन गर्म और सर्द हिस्सों के बीच में पड़े हैं। वह मुड़तदल यानी साधारन हैं। न वहां गर्मी बहुत लगती है । न सर्दी दुख देती है। विषुवत रेखा यानी भ मध्य रेखा से जो जमीन के बीच में है साढ़े तेईस तेईस दर्जे उत्तर और दक्वन गर्म मुलक हैं । फिर तेंतालीस तेंतालीस दर्जे मतदल और साढ़े तेईस तेईस दर्ज उत्तर और दक्वन ध्रुव तक सर्द मुलक हैं ॥ मुतदल में भी जितना गर्म की तरफ़ हटा होगा कुछ किसी कदर वहां गर्मी का असर ज़ियादा रहेगा । और जितना सर्द की तरफ झुका होगा सर्दी का असर ज़ियादा मिलेगा। उत्तर ध्रुव साधारन २३॥ --- मधाररखा TA साभारन सद ববিয গ্রন্থ For Private and Personal Use Only

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