Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

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Page 59
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहिला हिस्सा नीचे लिखी हुई तसवीर में बिंदियों से कनारे वाले आदमी की निगाह का निशान कर दिया है। दरवाले जहाज़ का पहले मस्तल भो नहीं और पामवाले का पेंदा दिखलायी देता है। इसी तरह ज़मीन पर भी ना किसी पेड़ या पहाड़ को दूर से देखो पहले उस की चोटी हो दिखलायो देवेगी। जव पास जाओगे जड़ तक नज़र पड़ेगी। दूसरा सबत यह है कि कोई आदमी किसी तरफ़ को अगर सोधा बे दहने बायें मुड़े चला जाय पच्चीस हज़ार बीस मील घूम कर फिर अपनी उसी जगह पर आजाता है जहां से चला था। बहुत बार ऐसा हुआ है कि जो जहाज़ पच्छम या पूरब को एक ही सीध में टापुओं को बचाता हुआ चला गया कुछ दिनों में पृथ्वी को परिक्रमा परी करके फिर अपनी उसी जगह पर आ गया। तोसरा सबत यह है कि जब चाद घूमते घमते थोड़ा या परा ठीक ज़मीन और सूरज के बीच में आता है । तब चांद को आड़ से ज़मीन के रहने वालों को उतना सूरज नहीं दिखलायी देता है। यही सूरज ग्रहण कहलाता है। और उस वक़्त वह चांद सूरज पर गोल काला दाग़ सा नज़र पड़ता है । इसी तरह जब ज़मीन घमते घमते थोड़ी या पूरी ठीक चांद और सूरज के बीच में आजाती है। तब ज़मीन को आड़ से मरज की रोशनी उतने चांद पर नहीं पड सकती है । इसो को For Private and Personal Use Only

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