Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 51
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥४८॥ सूर्य०१२३ | चं०४ जं० २५ नि० २६ मकी०२७ नत्थि य ते संघयणं | इहं संसारे न निमित्ता विवजंति नपुंसएसु सउणेसु नपुंसकनिमित्तेसु -नमिऊण महाइसयं , महावीरं नमुत्थु धुयपाषाणं नयणोदगंपि तासि न य मणसा चितिजा नरएसु अणुत्तरेसु अ , वेयणाओ २७-१६०७ | नवबंभवेरगुत्तो २७-१८४० नवमी मुम्मुही नाम २७-९१५ नवमे वसंतमासे २७-९०३ नवमो अ आणइंदो २७-२१९ | नवि अस्थि माणुसाणं २७-२७६ २७-७१० नवि कारणं तणमो २७-८० २७-१६३५ २७-१५५० ,, जाई कुलं वावि २७--२५३९ ,, तं करेइ अग्गी ,., कुणइ अमित्तो .., विसं च सत्थं २७-१६१५ ,, ,, सत्थं च विसं २७-६२९ नहु तेसं वयणं खलु २७-१६०० २७-४८७ ., ,, मरणमि उवग्गे २७-२३५ २४-२४ २७-१५२८ २७--१०९३ "., सक्का नासेउं २७-२३७६ २२-१२२२ |, , सा पुणरुत्तविही २२-२७१ ,,, सिज्झई ससल्लो नंदमाणो चरे धम्म २७-४९४ नंदा भद्दा विजया २७-८५५ २७-२५२२ | नंदे जए य पुन २७-८५६ २७-४९५ । नाउमिह अमावासं २५ (पृ०५०७टी०) २७-३३६ नागकुमारिंदाणं २७-९५० २७-१४३३ नाणमयवायसहिओ २७-१८६३ नाणसहियं चरितं २७-१३७३ | नाणस्स केवलीणं २७-१२९७ .. दसणस्स य २७-१८८१ | नाणंमि दसणंमि अ २७-७२९ मरगतिरिक्खगईसु नरयगइगमणरोहं नरविबुहेसरसुक्खं न लहइ जहा लिहंतो २७-२८० , माया नवि य पिया नहु तम्मि देसकाले ॥४८॥ For Private and Personal Use Only

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