Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ६७ ।। IANS संसाररंगमज्झे संसार समावण्णे य सापय कोसला गयपुरं साकिर दुप्पड साराहिय सागर गिरिमेरागं २७-५५० २७-३९७ २५-२४ २७-१६०१ सागरतरं णत्थि मई सागारोव अगुवउत्तेणं० पु० २२ २४५० सा णं पउमवरवेतिया साय पगलंत लोहिय सायमसायं सव्वे साय सलिलुल्ललोहिय० सावज्जजोगविरई सावत्यी जियसत्तू सापा साहा गहनक्खत्ता साहारणमाहारो २७- १५४५ साहुत्तसुट्टिया जं २७-१२५२ साहुस्स नत्थि लोए साह कसं हो २२-११४ २१-१११सू० २७-१६५२ २२-२२७ साहूण साहुचरिअं साहूणं नोवकयं साह य मंगलं मज्झ सिअकमलकलस० सिद्धति य बुद्धत्ति य 99 33 www.kobatirth.org 33 33 " 59 सिद्धसरणेण नव० सिद्धस्स सुहो रासी 22 35 २७-१६४८ २७-१ २७-१७३५ " 33 " २७-१७९२ सिद्धा य मंगलं मज्झ २७-१०२६ |सिद्धे अ विज्जुणामे उवसंपण्णो २२-१०१ 13 " " २७-४० २७–७७९ २७-१५५९ सिद्धे उबसंपन्नो "" For Private and Personal Use Only 37 २७-५७ २७-१३११ २७-२५२ २७-६०१ २७-१२२८ सिंगारतरंगाए 33 कच्छे खंडग० णीले पुग्वविदेहे य मालवंते रुपी रम्मग सोमणसे विभ सिरिहिरिधितिकित्तीओ 33 ५. १९-२८ सिंघाडगस्स गुच्छा सिमे पित्ते मुत्ते २२-१७८ २७-३० सीआवेद विहारं १९-२३ सीउण्ड पंथगमणे २२- १७३ २७-१२२३ सीता य दव्यसरीर सीयायवज्झडियंगा सीलई ससिहारे य २५- ६० सीलतवदाणभाषण २७-२५३ | सीलेणवि मरियब्वं २७-२४९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७-१५२७ २५-५५ २५-६८ २५-५४ २५-६९ २५-५९ २६-४॥ २७-४०४ २२-५५ २७-५५५ २७-७३२ २७-५२४ २२-२२६ २७-१६८१ १९-७ २७-८०९ २७--१२८ सूर्य० | २१ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ६७ ॥

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