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पवित्र हास्य
रामधारी-"मित्र धन्य है तेरी बुद्धि को! तेरे बतलाये हुये कार्य से आज हम कृषक तथा उसके परिवार के लिए तो सचमुच ही ईश्वर बन बैठे।"
यह सुनकर सोहनलाल ने उत्तर दिया।
सोहनलाल-धारी ! एक कृषक परिवार के लिए तो क्या, यदि हम सदा इसी प्रकार के कार्य करते रहेंगे तो वह दिन दूर नहीं है जब एक दिन हम सारे संसार के लिए भगवान बन जावेंगे। इसलिये मित्र, इस बात का ध्यान रखो कि किसी की हानि हँसी में भी नहीं करनी चाहिये, फिर उसको हैरान करना तो और भी बुरी बात है।
इस पर धारी बोला। धारी-"हां मित्र, अब ऐसा ही होगा।"
इस प्रकार दोनों मित्र आपस में वार्तालाप करते हुए तथा जंगल में सच्चा बसन्त मना कर प्रसन्न मन से घर की ओर चले।