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युवराज पद होशियारपुर से बिहार करके टांडा मकेडिया में धर्म प्रचार करके फिर वापिस होशियारपुर आए।
होशियारपुर का श्री संघ आपसे बहुत समय से अपने यहां चातुर्मास करने की विनती कर रहा था। अतः आपने इस बार उनकी विनती को स्वीकार कर सं० १६४६ का अपना चातुर्मास होशियारपुर में किया । __ इस चातुर्मास के बाद आप होशियारपुर से विहार कर जैजों, वलाचौर, रोपड़, अम्बाला, स्याहवाद, करनाल, थानेसर, मोणक; सनाम, बरनाला तथा रायकोट में धर्म प्रचार करते हुए गूजरवाल पधारे। यहां आपको मालेरकोटला के श्री संघ की ओर से चातुर्मास का निमंत्रण मिला, जिसको आपने स्वीकार कर लिया।
अस्तु आपने सवत् १९५० का अपना चातुर्मास मालेरकोटला में किया।
मालेरकोटला के चातुर्मास के बाद आप वहां से विहार करके रायकोट, जगरावां, भटिंडा, रामामंडी, सिरसा, हिसार तथा खेड़ी में धर्म प्रचार करते हुए हांसी पधारे। यहां के श्री संघ ने आपसे अत्यधिक आग्रह पूर्वक वहां चातुर्मास करने का निमंत्रण दिया। आप उस निमंत्रण को स्वीकार कर वहां से विहार कर गए और तुस्साम, विहाणी, भिडलाडा तथा रतिया में धर्म प्रचार करते हुए हांसी पधारे।
तेरा पंथियों से शास्त्रार्थ इस प्रकार आपने अपना संवत् १६५१ का चातुर्मास हांसी में किया। उन दिनों वहां जैन श्वेताम्बर तेरा पंथी साधुओं का भी चातुर्मास था, जिनमें मुनि माणिकचन्द जी प्रमुख थे ।