Book Title: Shauchnirnay Trayambakiya
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ. चेदुत्तरमेव कार्यम् // दशाहांत्यरात्रौ यदि दशाहं सूतकं पतति नि. तदा दिनद्वयमधिकं कार्यम्, सा रात्रिः परेयुश्च // 66 // दशाहांत्यरात्रिचतुर्थयामे यदि दशाहमाशौचं पतेत्तदा दिनत्रयमधिकं कार्यम् // 67 // त्र्यहाद्याशौचानां परस्परं रात्रिशेषे संपाते पूर्वेणैव शुद्धिः न व्यहादिवृद्धिः // 68 // वर्धिते द्वित्रिदिनमध्ये आशौचांतरसंपाते च अधिकस्य न पूर्वेण शुद्धिः॥ समन्यूनयोस्तु पूर्वेण शुद्धिः॥६९॥ सपिंडाशौचेन मातृपितृभर्तृणामाशौचं नापैति // 70 // मात्राशौचमध्ये पित्राशौचपाते पूर्वशेषेण शुद्धिः // 71 // पितुः संपूर्णाशौचेन शुद्धिरित्यन्ये // तेषां शेषपदस्य पूर्णपरत्वं लाक्षणिकम् // पित्राशौचमध्ये मातृमरणे तु पित्राशौचं समाप्य पक्षिणी-७ मधिकं कुर्यात् // 72 // इदं दशमरात्रेरर्वाग्भवति // दशमराठ्यां तद्रात्रिचतुर्थयामे मातृमरणे तुझ्यहं त्र्यहं वेति न पक्षिणी // 73 // For Private and Personal Use Only

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