Book Title: Shauchnirnay Trayambakiya
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ. शौचं कृत्वा कृच्छ्त्रयद्वैगुण्यागृह्यम् // 3 // आहिताग्नेरस्थिदाहे प्रति- नि. कृतिदाहे वा सर्वसपिंडानां दशाहाद्याशौचम् // 4 // अनाहिताग्नेस्तु अस्थिदाहे पर्णशरदाहे च पत्नीपुत्रयोः पूर्वमगृहीताशौचयोर्दशाहिक पूर्णमेव // 5 // गृहीताशौचयोस्तु तयोरपि संस्कारकाले त्रिरात्रम् // पत्नीसंस्कारे पत्युश्चैवम् // सपत्योमिथश्चैवम् // 6 // अन्यसपिंडानां पूर्वमगृहीताशौचानां अनाहिताग्निसंस्कारकाले त्रिरात्रम् // पूर्वमगृहीताशौचानां तु सपिंडानां संस्कारकाले स्नानमात्रम् // 7 // इदं त्रिरात्रादिकं दशाहोचं संस्कारकरणे ज्ञेयम् // दशाहमध्ये तु शेषदिवसैरेवाशौचसिद्धेरुक्तत्वात् ॥८॥रजस्खलायास्तु विंशतिदिनोत्तरं प्रायशो रजोदर्शनं भवति, तस्याः सप्तदशदिनपर्यंतं पुना रजोदृष्टौ स्नानमात्रम् // अष्टादशे एकरात्रम् // एकोनविंशे द्विदिनम् // विंशतिप्रभृति दिनत्रयम् // 9 // यस्यास्तु विंशतिदिनादर्वाक्प्रायशो For Private and Personal Use Only

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