Book Title: Shauchnirnay Trayambakiya
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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तजात्याशौचं दशाहादि ॥८३॥विजातीयनिहर्हारे विजातीयदाहे च नि. शवजातीयमाशौचम् // भृतिग्रहणे विजातीयनिर्हारे दाहे च शवजातीयाविगुणम् // 84 // सोदकनिर्हारे दशाहः॥ 85 // असपिडालंकरणे अज्ञानादुपवासः // अशक्तौ स्नानम् // ज्ञानतः पादकृच्छम् // 86 // धर्मार्थमनाथशवसवर्णनिहरणे क्रियाकरणेऽग्निदाने च द्विजस्य अनंतफलम् // स्नानाच्छुद्धिः प्राणायामोऽग्निस्पर्शश्च // 87 // धर्मार्थमनाथसवर्णनिर्हरणादावपि मातुलादिसंबंधे सति त्रिरात्रमाशौचम् // 88 // अनुगमने तु सपिंडे न दोषः, असपिंडेऽपि अनाथक्रियायां न दोषः॥८९॥ समोत्कृष्टवर्णीयशवानुगमने स्नात्वा हुताशं स्पृष्ट्वा सर्पिः प्राश्य पुनः स्नात्वा प्राणायाम कुर्यात् // 10 // हीनवर्ण-14 शवानुगमने क्षत्रिये एकाहः // वैश्ये पक्षिणी // शूद्रे त्रिरात्रम् // पूर्ववत्स्नानादि च // 91 // ब्रह्मचारिणः सपिंडमरणे नाशौचम् // For Private and Personal Use Only

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