Book Title: Sadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Author(s): Dineshmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 10
________________ संसद सदस्य साध्वीरत्न श्री पुष्पवतीजी की ५०वें दीक्षा वर्ष में प्रवेश पर अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है, यह जानकर प्रसन्नता हुई। साध्वीजी का त्याग तथा समाज व देश को उनके द्वारा दिया गया सन्देश अहिंसा तथा अन्य स्थापित सिद्धान्तों के बारे में सर्वविदित है। साध्वीजी के तेजस्वी व्यक्तित्व की जानकारी आम आदमी को मिलनी ही चाहिए। ग्रन्थ द्वारा यह कार्य होगा तथा आप सब इस कार्य में सफल होंगे । ऐसी मेरी कामना (लोकसभा) है भवदीय --शान्ति धारीवाल राजस्थान हाउस नई दिल्ली संसद सदस्य मुझे बहुत प्रसन्नता है, आप साध्वी रत्न पुष्पवतीजी के ५०वें दीक्षा-दिवस पर एक विराट अभिनंदन ग्रन्थ प्रकाशित कर रहे हैं। जैन धर्म की भारत वासियों के दिलों में एक अमिट छाप है । अहिंसा का पालन करना, अपने को कष्ट देकर दूसरों को व समाज को सही रास्ता दिखाना, तपस्या का जीवन में महत्त्व, इन सव बातों के लिए जैन मुनि सारे विश्व में प्रसिद्ध हैं। ___मैं इन महान पुरुषों के आगे अपना सिर झुकाता हूँ और आपके ग्रंथ के लिए शुभकामनाएँ। ----जयप्रकाश अग्रवाल (लोकसभा) चांदनी चौक दिल्ली ६-१०-८६ शुभकामनाएँ : सन्देश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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