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प्रश्नों के उत्तर
४१.६.
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सजीव प्राणियों को अपने शरीर को स्वस्थ एवं व्यवस्थित रखने के लिए भोजन की आवश्यकता होती हैं । विना खाए- पीए वह अविक दिन जीवित नहीं रह सकते और नवजात शिशु तो भोजन के अभाव में बहुत समय तक जीवित नहीं रह सकता । उसे तो जन्मते ही तुरन्त भोजन की आवश्यकता होती है । यही स्थिति ग्रण्डे की है, उसे भी. आहार न मिले तो वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता । इसी कारण पक्षी अण्डे के ऊपर बैठते हैं और मादा पक्षी के शरीर की गर्मी से अंडे को पोषण मिलता है और उस से उसके शरीर का निर्माण होता है । यदि मादा पक्षी की गर्मी का पोषण श्रंडे को न मिले तो वह थोड़े-से समय में सूख जाएगा, निर्जीव हो जाएगा। इससे 'स्पष्ट प्रतीत होता है कि ग्रण्डे में सजीवता है । वैज्ञानिकों ने भी सूक्ष्म 'दर्शक यन्त्रों से निरीक्षण करके उसकी सजीवता को स्वीकार कर लिया है, इतने पर कुछ लोग उसे निर्जीव बताते हैं और व्हाइट पोटेटो : (White potatoes) अर्थात् सफेद आलू कह कर उसे खाने में कोई दोष नहीं मानते। यह उनके अज्ञान एवं स्वार्थी मनोवृत्ति का ही परिणाम है । अपनी जबान का स्वाद लेने के लिए मनुष्य जघन्य से जघन्य कार्य करते हुए भी नहीं हिचकिचाता । यह उसका हद दर्जे का नैतिक पतन है । प्रश्न- यदि अण्डा सजीव है तो उसे तोड़ने पर दुःखानुभूति होनी चाहिए, जैसे कि अन्य पशु-पक्षियों को मारते समय दुःखानुभूति होती है, परन्तु अंडे को तोड़ते समय उसमें दुःखानुभूति नहीं होती, इससे उसे संजीव कैसे माना जाए ?
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उत्तर- अण्डे में भी दुःखानुभूति होती है। यह बात अलग है कि वह