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- प्रश्नों
के उत्तर..
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हजारों रुपए लगा करके इन को पढ़ाया, लिखाया और विद्वान बनाया। समाज को इन से बड़ी-बड़ी आशाएं थीं, किन्तु ये अ-.. स्मिता के पुजारी थे । अपनी वैयक्तिक प्रतिष्ठा का.. इन्हें जबर्दस्त ... मोह था । ये स्वयं नेता बनने का स्वप्न ले रहे थे । किन्तु अपने ... गुरुदेव के चरणों में रह कर या स्थानकवासी . समाज में रह कर इन्हें अपना यह स्वप्न पूरा होता दिखाई नहीं दिया। अतः इन्होंने ... प्रच्छन्नरूप से. एक. नवीन समाज की रचना का कार्यक्रम बनाया। . वह समाज था-श्वेताम्बर-मूर्तिपूजक समाज । प्रत्यक्ष रूप से ये
स्थानकवासी साधु थे, स्थानकवासी साधु के वेष में रहते थे. किन्तु ... भीतर से लोगों के मानस को मूर्तिपूजक बनाते जा रहे थे । ..
- पाप सदा नहीं छुप सकता । वह एक दिन प्रगट होकर ही रहता है । इसी सिद्धान्त के अनुसार श्री विजयानन्द जी का उक्त - कपट तथा समाजद्रोह एक दिन प्रकट हो गया । समाज को तथा
गुरुदेव को इस के इस षड़यंत्र का पता चल गया । तब गुरुदेव .. श्री जीवनराम जी महाराज ने इन को इस समाजद्रोह को छोड़ने लिए बहुत कुछ कहा-सुना। जब ये नहीं माने तो इन्होंने इनको अपने संघ से बहिष्कृत कर दिया । और इन का स्थानकवासी पर
म्परा का वेष उतरवा दिया। ...... श्री विजयानन्द जी ने अपना जाल काफी फैला लिया था।
कई एक साधुओं को भी अपने चंगुल में फंसालिया था। वे भी ___ इन्हीं की नीति पर चल रहे थे। इन में पंजाब के महामहिम .... प्राचार्यप्रवर पूज्य श्री अमरसिंह जी महाराज के श्री विष्णचन्द्र . .
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* सभी जानकारी प्राप्त करने के अभिलाषियों को जनधर्म दिवाकर, प्राचार्यसम्राट् गुरुदेव पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज द्वारा रचित "श्री
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