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प्रश्नों के उत्तर
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का त्याग करता है। उस में भी निरपराधी प्राणी को वह संकल्पपूर्वक नहीं मारता। हम ऊपर बता चुके हैं कि देश या परिवार पर ... कोई दुष्ट व्यक्ति आक्रमण कर देता है, उस समय उस से देश या परिवार आदि की सुरक्षा के लिए उसे संघर्ष करना पड़ता है और उस संघर्ष में वह सामने आने वाले दुश्मनों पर संकल्प-पूर्वक ही वार करता है, फिर भी वह अपने पथ से च्युत नहीं होता है, क्योंकि उस का त्याग निरपराधी व्यक्ति को संकल्प-पूर्वक मारने का है। इस के साथ एक: . विशेषण और दिया गया है कि श्रावक निरपराधी प्राणी को निरपेक्ष बुद्धि से संकल्प-पूर्वक नहीं मारता। इस विकल्प के रखने का उद्देश्य यह है कि एक चोर, डाकू, गुण्डा या बदमाश व्यक्ति देश के किसी... व्यक्ति को लूटता है, मारता है या उसका नुकसान करता है तो ऐसी स्थिति में राजा क्या करे? वह अत्याचारी व्यक्ति अपराधी अवश्य है. परन्तु वह राजा का कोई अपराध नहीं करता । फिर भी राजा उसे दण्ड देता है- यहां तक कि आवश्यकता पड़ने पर फांसी के तख्ते पर भी लटका देता है। परन्तु, उस के पीछे उसकी भावना उस का हित करने की होती है। राष्ट्र में किसी तरह की अव्यवस्था न फैले, जनता .. के जान-माल की सुरक्षा बनी रहे, इस अपेक्षा को सामने रख कर तथा अपराधों को रोकने एवं अपराधी के जीवन को सुधारने की : . दृष्टि से वह दण्ड देता है तो अहिंसा व्रत से नहीं गिरता । परन्तु निर... पेक्ष भाव से-विना किसी अपेक्षा के केवल दिल बहलाव के लिए वह - किसी प्राणी का वध नहीं करता। ... इस से यह स्पष्ट हो गया कि अहिंसा व्रत का पालन प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है- चाहे वह किसी भी जाति, देश या पंथ का: । क्यों न हो तथा किसी भी पद पर क्यों न हो। अहिंसा व्रत की एक ही शर्त है और वह यह है कि अपनी मौज,शौक या स्वार्थ साधने के