Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 27
________________ . ADU JHAN 4MRUT [ १६ ] स्पमाजवाद से क्या और साम्यवाद से क्या? जो वाद हमारे तन-मन के दुख न मिटा सके, ऐसे वादो मे हम क्यो उलझे ? तन-मन के दुखो को मिटाने वाला है, आत्मवाद। आत्मवादी बनें। आत्मा की अनन्तशक्ति अनन्तगुण और अविकारी स्वरूप में श्रद्धावान् बनें । अपनी आत्मा के समान ससार की सब आत्माओ को माने और किसी भी आत्मा को दुःखी न करे। S ROLU [ १६

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